google.com, pub-7729807779463323, DIRECT, f08c47fec0942fa0 google.com, pub-7729807779463323, DIRECT, f08c47fec0942fa0 श्री कृष्णा आध्यात्मिक Quotes , श्री राधा रानी प्रेम Quotes श्री भागवत गीता - Selling Settlement

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  • श्री कृष्णा आध्यात्मिक Quotes , श्री राधा रानी प्रेम Quotes श्री भागवत गीता

     श्री कृष्णा आध्यात्मिक  Quotes , श्री राधा रानी प्रेम Quotes  श्री भागवत गीता 

    श्री कृष्णा और राधा जी का कुछ प्रेम संग्रह कुछ इस प्रकार मैं दर्शाने जा रहा हूं इसमें कुछ त्रुटियां हो सकती है आप हमें क्षमा कीजिएगा बोलो राधा कृष्णा की जय श्री राधे कृष्णा राधे राधे बोल ||


    { श्री गणेशाय नमः }

    प्यार दो आत्माओं का मिलन होता है ठीक वैसे ही जैसे,
    प्यार में कृष्ण का नाम राधा और राधा का नाम कृष्ण होता है। 
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    कृष्ण ने राधा से पूछा ऐसी एक जगह बताओ,
    जहाँ में नहीं हूँ
    राधा ने मुस्कुरा के कहा,
    बस मेरे नसीब में।
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    किसी की सूरत बदल गई, किसी की नियत बदल गई,
    जब से तूने पकड़ा मेरा हाथ “राधे” मेरी तो किस्मत ही बदल गई। 
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    बहुत खूबसूरत है मेरे ख्यालों की दुनिया,
    बस कृष्ण से शुरू और कृष्ण पर ही ख़तम। 
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    यदि प्रेम का मतलब सिर्फ पा लेना होता,
    तो हर हृदय में राधा-कृष्ण का नाम नही होता।
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    कान्हा तुझे ख्वाबों में पाकर दिल खो ही जाता है,
    खुद को जितना भी रोक लूं, प्यार हो ही जाता है।
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    पीर लिखो तो मीरा जैसी,
    मिलन लिखो कुछ राधा सा,
    दोनों ही है कुछ पूरे से,
    दोनों में ही वो कुछ आधा सा।
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    संगीत है श्रीकृष्ण, सुर है श्रीराधे,
    शहद है श्रीकृष्ण, मिठास है श्रीराधे,
    पूर्ण है श्रीकृष्ण, परिपूर्ण है श्रीराधे,
    आदि है श्रीकृष्ण, अनंत है श्रीराधे। 
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    हर शाम किसी के लिए सुहानी नही होती,
    हर प्यार के पीछे कोई कहानी नही होती,
    कुछ तो असर होता हैं दो आत्मा के मेल का,
    वरना गोरी राधा, सावले कान्हा की दीवानी ना होती।
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    राधा के सच्चे प्रेम का यह ईनाम हैं,
    कान्हा से पहले लोग लेते राधा का नाम हैं।
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    हे कन्हैया तुम्हे पाना जरूरी तो नहीं,
    तुम्हारा हो जाना ही मेरे लिए काफी हैं।
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    जीवन ना तो भविष्य में है और नाही अतीत में,
    जीवन तो केवल कृष्णा के ध्यान में है।
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    राधा कहती है दुनिया वालों से,
    तुम्हारे और मेरे प्यार में बस इतना अंतर है,
     प्यार में पड़कर तुमने अपना सबकुछ खो दिया,
    और मैंने खुद को खोकर सबकुछ पा लिया।
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    बहुत सुंदर तेरे नैन ओ राधा प्यारी,
    इन्ही नैनों के हो गए बांकेबिहारी।
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    अब आँखों से भी जलन होती हैं कन्हैया मेरे,
    खुलती है तो ढूंढती है तुझको और बंद हो तो ख्वाब तेरे ।
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    प्रेम ज़िद से नहीं किस्मत से मिलता है,
    वरना पूरी दुनिया का मालिक
    अपनी राधा के बिना नहीं रहता।
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    राधा ने किसी और की तरफ देखा हीं नही,
    जब से वो कृष्ण के प्यार में खो गई कान्हा के प्यार में पड़कर,
    वो खुद प्यार की परिभाषा हो गई।
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    पलके झुके और नमन हो जाये मस्तक
    झुके और वंदन हो जाये ऐसे नज़र कहा
    से लाऊ की तुझे याद करू और तेरे
    दर्शन हो जाये।
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     संसार तुम्हे नहीं पकड़ता तुमने ही संसार
    को पकड़ा है मकान टुटा जाते है तो तुम
    रोते हो लेकिन जब तुम चले जाओगे तो
    मकान से एक भी अंशु नहीं गिरेगा मकान को कुछ फर्क नहीं पड़ता।
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    बैकुंठ में भी ना मिले जो वो सुख कान्हा
    तेरे वृंदावन धाम में हैं, कितनी भी बड़ी
    विपदा हो चाहे समाधान तो बस श्री राधे
    तेरे नाम में हैं। 
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    प्यार और तकदीर कभी साथ साथ
    नहीं चलते क्योकि जो तकदीर में होते है
    उनसे कभी प्यार नहीं होता और जिससे
    हमे प्यार हो जाता है वह तकदीर में नहीं
    होता, राधे-राधे जय श्रीकृष्णा||
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    पग पग वो चला आएगा, खुशियां
    अपने साथ लाएगा आएगा नटखट नंदलाल,
    आपका जीवन सुख समृद्धि से भर जाएगा ||
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    हे कान्हा समझ नहीं आता की तुम
    मुझे दर्द दे रहे हो या ख़ुशी,तुम्हे याद
    करते ही मेरी आँखों में आंसू आ
    जाता है और होंठो पे मुस्कान||
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    श्री कृष्ण कहते थे प्रेम का अर्थ किसीको 
    पाना नहीं किन्तु उसमे खो जाना है।
     मन का संकल्प और शरीर का पराक्रम 
    यदि किसी काम में पुरी तरह लगा दिया 
    जाए, तो सफलता अवश्य मिलती है||
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    किसी की मीठी बातें ओर चालाकी
    को अपनी सुझबुझ पर हावी न होने
    दें धोखे की ख़ासियत यहीं है ये यकीन
    के साथ मुफ़्त मिलता है||
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    हर कोई चंदन तो नही
    कि जीवन सुगन्धित कर
    सके कुछ नीम के पेड़ भी होते हैं !
    जो सुगन्धित तो नही करते
    पर काम बहुत आते है !!
    मुस्कुराने के मकसद न ढूँढो
    वर्ना जिन्दगी यूँ ही कट जाएगी
    कभी बेवजह भी मुस्कुरा के देखो
    आपके साथ साथ जिन्दगी भी मुस्कुरायेगी| |
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    नसीहत वो सच्चाई है जिसे हम कभी
    ध्यान से नही सुनते और तारीफ वो
    धोखा है जिसे हम हमेशा ध्यान से सुनते हैं।
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    अच्छे व्यक्ति को समझने के
    लिए अच्छा हृदय चाहिये न
    कि अच्छा दिमाग क्योंकि
    दिमाग हमेशा तर्क करेगा
    और हृदय हमेशा प्रेम भाव देखेगा||
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    सब्र और सहनशीलता
    कोई कमजोरियां नहीं होती है।
    ये तो वो अंदरुनी ताकते है,
    जो केवल मजबूत लोगों में होती है ।
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    दर्पण – झूठ नहीं बोलने देता 
    ज्ञान – भयभीत नहीं होने देता 
    आध्यात्म – मोह नहीं होने देता 
    सत्य – कमजोर नहीं होने देताl
    प्रेम – ईर्षा नहीं करने देता 
    विश्वास – दुखी नहीं होने देता 
    कर्म – असफल नहीं होने देता ||
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    गोकुल में है जिनका वास् ,गोपियों संग करे
    निवास, देवकी यशोदा है जिनकी मैया ऐसे है
    हमरे कृष्ण कन्हैया।
    बांके बिहारी का नाम लो सहारा मिलेगा ये
    जीवन न तुमको दुबारा मिलेगा डूब रही
    अगर कश्ती मझधार में कृष्ण के नाम से
    सहारा मिलेगा।
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    श्री भागवत गीता Quotes 
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    गीता में श्री कृष्ण ने कहा है जो लोग तुम्हारी
    बुराई करते है करेंगे चाहे तुम अच्छा करो या
    बुरा करो इसलिए शांत रहकर अपना कर्म
    करते रहो निंदा से मत घबराओ निंदा उसी
    की होती है जो ज़िंदा है।
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    जिसने मन को जीत लिया है, उसने पहले ही परमात्मा को प्राप्त कर लिया है, क्योंकि उसने शान्ति प्राप्त कर ली है। ऐसे मनुष्य के लिए सुख-दुख, सर्दी-गर्मी और मान-अपमान एक से है।
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    जो दान कर्तव्य समझकर, बिना किसी संकोच के, किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दिया जाए, वह सात्विक माना जाता है। 
    ईश्वर, ब्राह्मणों, गुरु, माता-पिता जैसे गुरुजनों की पूजा करना तथा पवित्रता, सरलता, ब्रह्मचर्य और अहिंसा ही शारीरिक तपस्या है।
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    भगवद गीता के अनुसार नरक के तीन द्वार होते है, वासना, क्रोध और लालच।
    हे अर्जुन! जो बहुत खाता है या कम खाता है, जो ज्यादा सोता है या कम सोता है, वह कभी भी योगी नहीं बन सकता। 
    जो मुझे सब जगह देखता है और सब कुछ मुझमें देकता है उसके लिए न तो मैं कभी अदृश्य होता हूँ और न वह मेरे लिए अदृश्य होता है।
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    मैं हर जीव के ह्रदय में परमात्मा स्वरुप स्थित हूँ। जैसे ही कोई किसी देवता की पूजा करने की इच्छा करता है, मैं उसकी श्रद्धा को स्थिर करता हूँ, जिससे वह उसी विशेष देवता की भक्ति कर सके।
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    हे अर्जुन! जो जीवन के मूल्य को जानता हो। इससे उच्चलोक की नहीं अपितु अपयश प्राप्ति होती है।
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    खुद को जीवन के योग्य बनाना ही सफलता और सुख का एक मात्र मार्ग है।
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    हे अर्जुन! तुम्हारे तथा मेरे अनेक जन्म हो चुके है। मुझे तो वो सब जन्म याद है लेकिन तुम्हे नहीं। 
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    फल की लालसा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है।
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    जो मनुष्य कर्म में अकर्म और अकर्म में कर्म देखता है, वह सभी मनुष्यों में बुद्धिमान है और सब प्रकार के कर्मों में प्रवृत्त रहकर भी दिव्य स्थिति  में रहता है।
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    अपने अपने कर्म के गुणों का पालन करते हुए प्रत्येक व्यक्ति सिद्ध हो सकता है।
    हे अर्जुन! जो बुद्धि धर्म तथा अधर्म, करणीय तथा अकरणीय कर्म में भेद नहीं कर पाती, वह राजा के योग्य है।

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    जो पुरुष न तो कर्मफल की इच्छा करता है, और न कर्मफलों से घृणा करता है, वह संन्यासी जाना जाता है। 

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    मनुष्य जो चाहे बन सकता है, अगर वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करें तो।
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    मेरा तेरा, छोटा बड़ा, अपना पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो। 
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    जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वो भी अच्छा ही होगा। 
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    अगर कोई प्रेम और भक्ति के साथ मुझे पत्र, फूल, फल या जल प्रदान करता है, तो मैं उसे स्वीकार करता हूँ।
    मैं ही लक्ष्य, पालनकर्ता, स्वामी, साक्षी, धाम, शरणस्थली तथा अत्यंत प्रिय मित्र हूँ। मैं सृष्टि तथा ब्रह्माण्ड, सबका आधार, आश्रय तथा अविनाशी बीज भी हूँ। 
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    जब भी और जहाँ भी अधर्म बढ़ेगा। तब मैं धर्म की स्थापना हेतु, अवतार लेता रहूँगा। 
    भक्तों का उद्धार करने, दुष्टों का विनाश करने तथा धर्म की फिर से स्थापना करने के लिए मैं हर युग में प्रकट होता हूँ। 
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    हे अर्जुन! जो मेरे आविर्भाव के सत्य को समझ लेता है, वह इस शरीर को छोड़ने पर इस भौतिक संसार में पुनर्जन्म नहीं लेता, अपितु मेरे धाम को प्राप्त होता है। 

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    हे पार्थ! जिस भाव से सारे लोग मेरी शरण ग्रहण करते है, उसी के अनुरूप मैं उन्हें फल देता हूँ।
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    डर धारण करने से भविष्य के दुख का निवारण नहीं होता है। डर केवल आने वाले दुख की कल्पना ही है।
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    हे कुन्तीपुत्र! मैं जल का स्वाद हूँ, सूर्य तथा चन्द्रमा का प्रकाश हूँ, वैदिक मन्त्रों में ओंकार हूँ, आकाश में ध्वनि हूँ तथा मनुष्य में सामर्थ्य हूँ। 
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    हे अर्जुन! श्रीभगवान होने के नाते मैं जो कुछ भूतकाल में घटित हो चुका है, जो वर्तमान में घटित हो रहा है और जो आगे होने वाला है, वह सब कुछ जानता हूँ। मैं समस्त जीवों को भी जानता हूँ, किन्तु मुझे कोई नहीं जानता। 
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    जो लोग ह्रदय को नियंत्रित नही करते है, उनके लिए वह शत्रु के समान काम करता है। 
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    जो सब प्राणियों के दुख-सुख को अपने दुख-सुख के समान समझता है और सबको समभाव से देखता है, वही श्रेष्ठ योगी है। 
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    हे अर्जुन! क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है, तब तर्क नष्ट हो जाता है, जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है। 
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    प्रत्येक बुद्धिमान व्यक्ति को क्रोध और लोभ त्याग देना चाहिए क्योंकि इससे आत्मा का पतन होता है। 
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    जो लोग भक्ति में श्रद्धा नहीं रखते, वे मुझे पा नहीं सकते। अतः वे इस दुनिया में जन्म-मृत्यु के रास्ते पर वापस आते रहते हैं।
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    हे अर्जुन! मैं ही गर्मी प्रदान करता हूँ और बारिश को लाता और रोकता हूँ। मैं अमर हूँ और साक्षात् मृत्यु भी हूँ। आत्मा तथा पदार्थ दोनों मुझ ही में हैं।||

                                   समाप्त|| 

    धन्यवाद जय श्री कृष्णा||

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